CHAPTER- 11 विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव
NOTES
1. सुचालक- वह पदार्थ जो अपने से होकर विद्युत धारा को प्रवाहित होने देते हैं, विद्युत के सुचालक कहलाते हैं। उदाहरण- लोहा, तांबा आदि।
2. कुचालक- जो पदार्थ अपने से होकर विद्युत धारा को आसानी से प्रवाहित नहीं होने देते हैं, विद्युत के कुचालक कहलाते हैं। उदाहरण- लकड़ी, प्लास्टिक आदि।
- विद्युत धारा के ऊष्मीय प्रभाव के कारण बल्ब का तंतु उच्च ताप तक गर्म होकर दीप्त हो जाता हैं। यदि परिपथ में विद्युत धारा दुर्बल है तो तंतु पर्याप्त गर्म न हो पाने के कारण दीप्त नहीं हो पाता।
- जब हम आसुत जल में नमक घोलते हैं तो हमें नमक का घोल प्राप्त होता हैं। यह विद्युत का अच्छा चालक है।
- नलों, हैन्डपम्पों, कुओं, ताओ आदि से प्राप्त जल शुद्ध नहीं होता। इनमें अनेक लवण होते हैं। यह जल विद्युत का सुचालक होता है। आसुत जल लवणों से मुक्त होने के कारण हीन चालक होता है।
- विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव- किसी चालक विलयन से विद्युत धारा प्रवाहित होने पर रासायनिक अभिक्रियाएं होती है। इसके फलस्वरूप इलेक्ट्रोडो पर गैस के बुलबुले बन सकते हैं। विलयनों के रंग में परिवर्तन हो सकते हैं।
- सन् 1800 में एक ब्रिटिश रसायनज्ञ, विलियम निकलसन ने यह दर्शाया कि यदि इलेक्ट्रोड जल में डूबे हों तथा उनके द्वारा विलयन से विद्युत धारा प्रवाहित की जाए तो आक्सीजन तथा हाइड्रोजन के बुलबुले उत्पन्न होते है। आक्सीजन के बुलबुले बैटरी धन टर्मिनल से जुड़े इलेक्ट्रोड पर तथा हाइड्रोजन के बुलबुले दूसरे इलेक्ट्रोड पर बनते हैं।
- विद्युतलेपन- विद्युत द्वारा किसी पदार्थ पर किसी बांछित धातु की परत निक्षेपित करने की प्रक्रिया कहते हैं।
- उदाहरण- 1 आभूषण बनाने वाले सस्ती धातुओं पर चांदी तथा सोने का विद्युतलेपन करते हैं।
3. खाद्य पदार्थ के भंडारण के लिए उपयोग किए जाने वाले टिन के डिब्बों में लोहे के ऊपर टिन का विद्युतलेपन किया जाता है।
- विद्युतलेपन कारखानों में उपयोग किए जा चुके विलयनों का निपटारा किया जाना भी एक मुख्य समस्या है। यह एक प्रदूषणकारी अपशिष्ट है।