Chapter 4 परमाणु की संरचना
NOTES
1. परमाणु के अविभाज्य न होने के संकेतों में से एक संकेत स्थित-विद्युत तथा विभिन्न पदार्थों द्वारा विद्युत चालन की परिस्थितियों के अध्ययन से मिला।
2. पदार्थों में आवेशित कण- परमाणु विभाज्य हैं और आवेशित कणों से बना है। 19वीं शताब्दी तक यह जान लिया गया था कि परमाणु साधारण और अविभाज्य कण नहीं है, बल्कि कम से कम एक अवपरमाणुक कण इलेक्ट्रन विद्यमान होता है, जिसका पता जे जे टांमसन ने लगाया था। ई गोलडस्टीन ने 1886 में एक नए विकिरण की खोज की जिसे केनार रे के नाम दिया।
- इलेक्ट्रान को e- और प्रोटान को p+ के द्वारा दर्शाया जाता है।
- परमाणु प्रोटान और इलेक्ट्रान से बने हैं, जो परस्पर आवेशों को संतुलित करते हैं। प्रोटान परमाणु के सबसे भीतरी भाग में होते हैं।
परमाणु की संरचना-
- टामसन का परमाणु मांडल- इनके अनुसार परमाणु एक धनावेशित गोला था, जिसमें इलेक्ट्रान क्रिसमस केक में लगे सूखे मेवों की तरह थे या तरबूज के लाल भाग में धसे बीजों की तरह हैं।
- जे.जे. टामसन को इलेक्ट्रान की खोज के कारण 1906 में उनको भौतिक शास्त्र में नोबेल पुरस्कार मिला।
- टामसन ने प्रस्तावित किया-
1. परमाणु धन आवेशित गोले का बना होता हैं और इलेक्ट्रान उसमें धंसे होते हैं।
2. ऋणात्मक और धनात्मक आवेश परिमाण में समान होते हैं। इसलिए परमाणु वैद्युतीय रूप से उदासीन होते हैं।
A. रदरफोर्ड का परमाणु माडल- ई. रदरफोर्ड को नाभिकीय भौतिकी का जनक माना जाता था। रेडियोधर्मिता पर योगदान और सोने की पन्नी के द्वारा परमाणु के नाभिक की खोज के लिए वे बहुत प्रसिद्ध हुए। 1908 में उनको नोबेल पुरस्कार मिला।
• रदरफोर्ड ने अपने प्रयोग में अल्फा कण (द्विआवेशित हीलियम कण) को लिया जिसका द्रव्यमान 4u था।
रदरफोर्ड के परमाणु माडल के लक्षण-
1. परमाणु का केंद्र धनावेशित होता है जिसे नाभिक कहा जाता हैं। एक परमाणु का लगभग संपूर्ण द्रव्यमान नाभिक में होता है।
2. इलेक्ट्रान नाभिक के चारों ओर वर्तुलाकार मार्ग में चक्कर लगाते है।
3. नाभिक का आकार परमाणु के आकार की तुलना में काफी कम होता है।
रदरफोर्ड के परमाणु माडल की कमियां- वर्तुलाकार मार्ग में चक्रण करते हुए इलेक्ट्रान का स्थायी हो पाना संभावित नहीं है। इस प्रकार परमाणु अस्थिर हो जाएगा जबकि हम जानते हैं कि परमाणु स्थायी होते हैं।
B. बोर का परमाण्विक माडल- रदरफोर्ड के माडल पर उठी आपत्तियों को दूर करने के लिए, नील्स बोर ने परमाणु की संरचना के बारे में निम्नलिखित अवधारणाएं प्रस्तुत की-
1. इलेक्ट्रान केवल कुछ निश्चित कक्षाओं में ही चक्कर लगा सकते हैं, जिन्हें इलेक्ट्रान की विविक्त कक्षा कहते हैं।
2. जब इलेक्ट्रान इस विविक्त कक्षा में चक्कर लगाते है तो उनकी ऊर्जा का विकिरण नहीं होता हैं। इन कक्षाओं (या कोशों) को ऊर्जा स्तर कहते हैं।
- न्यूट्रॉन- 1932 में जे. चैडविक ने एक और अवपरमाणुक कण को खोज निकाला, जो अनावेशित और द्रव्यमान में प्रोटान के बराबर था। अंततः इसका नाम न्यूट्रॉन पड़ा।
- हाइड्रोजन को छोड़कर ये सभी परमाणुओं के नाभिक में होते हैं। सामान्यतः न्यूट्रॉन को n द्वारा दर्शाया जाता है। परमाणु का द्रव्यमान नाभिक में उपस्थित प्रोटान और न्यूट्रॉन के द्रव्यमान के योग के द्वारा प्रकट किया जाता है।
3. विभिन्न कक्षाओं में इलेक्ट्रान का वितरण- परमाणुओं की विभिन्न कक्षाओं में इलेक्ट्रानों के वितरण के लिए बोर और बरी ने कुछ नियम प्रस्तुत किए जिसे बोर बरी स्कीम के नाम से जाना जाता है।
1. किसी कक्षा में उपस्थित अधिकतम इलेक्ट्रानों की संख्या को सूत्र 2n² से दर्शाया जाता है, जहां n कक्षा की संख्या या ऊर्जा स्तर है।
2. सबसे बाहरी कोश में इलेक्ट्रानों की अधिकतम संख्या 8 हो सकती है।
3. किसी परमाणु के दिए गए कोश में इलेक्ट्रान तब तक स्थान नहीं लेते हैं जब तक कि उससे पहले वाले भीतरी कक्ष पूर्ण रूप से भर नहीं जाते।
4. संयोजकता- किसी परमाणु की सबसे बाहरी कक्षा में उपस्थित इलेक्ट्रानों को संयोजकता-इलेक्ट्रानों कहा जाता।
- जिन परमाणुओं के बाह्यतम कक्ष में इलेक्ट्रानों के अष्टक बनाने के लिए जितनी संख्या में इलेक्ट्रानों की साझेदारी या स्थानांतरण होता है। वहीं उस तत्व की संयोजकता-शक्ति अर्थात संयोजकता होती है।
- अतः प्रत्येक तत्व के परमाणु की एक निश्चित संयोजन-शक्ति होती है, जिसे संयोजकता कहते हैं।
5. परमाणु संख्या तथा द्रव्यमान संख्या
परमाणु संख्या- परमाणु के नाभिक में प्रोटान उपस्थित होते हैं। एक परमाणु में उपस्थित प्रोटानों की संख्या उसकी परमाणु संख्या को बताती है। इसे z के द्वारा दर्शाया जाता है। किसी तत्व के सभी अणुओं की परमाणु संख्या समान होती है।
- एक परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटानों की कुल संख्या को परमाणु संख्या कहते हैं।
द्रव्यमान संख्या- एक परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटानों और न्यूट्रॉनों की कुल संख्या के योग को द्रव्यमान संख्या कहा जाता है।
- ये कण परमाणु के नाभिक में विद्यमान होते हैं इसलिए इन्हें न्यूक्लियान भी कहते हैं। उदाहरण- कार्बन का द्रव्यमान 12u = 6 प्रोटान + 6 न्यूट्रॉन
6. समस्थानिक- एक ही तत्व के परमाणु जिनकी परमाणु संख्या समान लेकिन द्रव्यमान संख्या विभिन्न होती है, समस्थानिक कहलाते हैं।
- बहुत से तत्वों में समस्थानिक का मिश्रण भी होता है। किसी तत्व का प्रत्येक समस्थानिक शुद्ध पदार्थ होता है। समस्थानिकों के रासायनिक गुण समान लेकिन भौतिक गुण अलग-अलग होते हैं।
समस्थानिकों के अनुप्रयोग-
1) यूरेनियम के एक समस्थानिक का उपयोग परमाणु भट्टी में ईंधन के रूप में होता है।
2) कैंसर के उपचार में कोबाल्ट के समस्थानिक का उपयोग होता है।
3) घेंघा रोग के इलाज में आयोडीन के समस्थानिक का उपयोग होता है।
7. समभारिक- अलग-अलग परमाणु संख्या वाले तत्वों को जिनकी द्रव्यमान संख्या समान होती है, समभारिक कहलाते हैं।