CHAPTER- 1 प्रारंभिक कथन: हजार वर्षों के दौरान हुए परिवर्तनों की पड़ताल
NOTES
1. मानचित्रकार- जो व्यक्ति मानचित्र या नक्शे बनाते हैं। उदाहरण- बारहवीं सदी के भूगोलवेत्ता अल-इद्रीसी और अठारहवीं सदी के आरंभ में ग्विलाॅम द लिस्ले के फ्रांसीसी मानचित्रकार एटलस नूवो।
- यूरोप के नाविक तथा व्यापारी अपनी समुद्र यात्रा के लिए नक्शे का इस्तेमाल किया करते थे।
2. अभिलेख- ये कई तरह की भाषाओं में मिलते हैं और ये भाषाएं भी समय के साथ-साथ बहुत बदलीं हैं।
3. तेरहवीं सदी में जब फारसी के इतिहासकार मिन्हाज-ए-सिराज ने हिंदुस्तान शब्द का प्रयोग किया था। इस शब्द का प्रयोग पंजाब, हरियाणा और गंगा-यमुना के बीच के इलाकों के लिए।
- इस शब्द का राजनीतिक अर्थ में उन इलाकों के लिए प्रयोग किया जाता जो दिल्ली के सुल्तान के अधिकार क्षेत्र में आते थे।
4. सोलहवीं सदी के आरंभ में बाबर ने हिंदुस्तान शब्द का प्रयोग इस उपमहाद्वीप के भूगोल, पशु-पक्षियों और यहां के निवासियों की संस्कृति का वर्णन करने के लिए किया। यह प्रयोग चौदहवीं सदी के कवि अमीर खुसरो द्वारा प्रयुक्त शब्द हिंद के ही कुछ-कुछ समान था।
5. विदेशी- आज इसका अर्थ है, ऐसा व्यक्ति जो भारतीय न हो। मध्ययुग में, मानों किसी गांव में आने वाला कोई भी अनजाना व्यक्ति, जो उस समाज या संस्कृति का अंग न हो, विदेशी कहलाता था।
6. अभिलेखागार- ऐसा स्थान जहां दस्तावेजों और पांडुलिपियों को संग्रहित किया जाता है। आज सभी राष्ट्रीय और राज्य सरकारों के अभिलेखागार होते हैं जहां वे अपने तमाम पुराने सरकारी अभिलेख और लेनदेन के ब्यौरों का रिकॉर्ड रखते हैं।
7. पांडुलिपियों की प्रतिकृति- उन दिनों छापेख़ाने तो थे नहीं, इसलिए लिपिक या नकलनवीस हाथ से ही पांडुलिपियों की प्रतिकृति बनाते थे।
8. चौदहवीं शताब्दी के इतिहासकार जियाउद्दीन बरनी ने अपना वृत्तांत पहली बार 1356 में और दूसरी बार दो वर्ष बाद लिखा। दोनों में अंतर है लेकिन 1971 तक इतिहासकारों को पहली बार वाले वृत्तांत की जानकारी नहीं थी।
9. सन् 700 और 1750 के बीच हजार वर्षों के दौरान नई प्रौद्योगिकी के दर्शन होते हैं:- 1. सिंचाई में रहट, 2. कताई में चर्खे, 3. युद्ध में आग्नेयास्त्रों (बारूद वाले हथियार)
- खाने में बदलाव- आलू, मक्का, मिर्च, चाय और कॉफी।
- परिणामस्वरूप यह काल आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों का भी काल रहा।
10. राजपूत- यह नाम राजपुत्र अर्थात् राजा का पुत्र से निकला।
- आठवीं से चौदहवीं सदी के बीच यह नाम आमतौर पर योद्धाओं के उस समूह के लिए प्रयुक्त होता था जो क्षत्रिय वर्ण के होने का दावा करते थे।
- राजपूत शब्द के अंतर्गत सेनापति और सैनिक भी आते थे।
- कवि और चारण राजपूतों की आचार संहिता प्रबल पराक्रम और स्वामिभक्ति का गुणगान करते थे।
11. राजनीतिक दृष्टि से महत्त्व हासिल करने के अवसरों का लाभ मराठा, सिक्ख, जाट, अहोम और कायस्थ (मुख्यतः लिपिकों और मुंशियों का कार्य करने वाली जाति) आदि समूहों ने भी उठाया।
12. पर्यावास- इसका तात्पर्य किसी भी क्षेत्र के पर्यावरण और वहां के रहने वालों की सामाजिक और आर्थिक जीवन शैली से है।
13. ऊंचा या नीचा दर्जा- जैसे-जैसे समाज में अंतर बढ़ने लगे, लोग जातियों और उपजातियों में बांटे जाने लगे और उनकी पृष्ठभूमि और व्यवसाय के आधार पर उन्हें समाज में ऊंचा या नीचा दर्जा दिया जाने लगा। ये दर्ज़े स्थायी नहीं थे।
14. जाति पंचायत- अपने सदस्यों के व्यवहार का नियंत्रण करने के लिए जातियां स्वयं अपने-अपने नियम बनाती थी। इन नियमों का पालन जाति के बड़े-बुजुर्गों की एक सभा करवातीं थी। जिसे कुछ इलाकों में जाति पंचायत कहा जाता था।
15. दिल्ली सुल्तान ग्यासुद्दीन बलबन (1266-1287)-
- एक विशाल साम्राज्य का शासक था जो पूर्व में बंगाल (गौंड) से लेकर पश्चिम में अफगानिस्तान के गजनी (गज्जन) तक फैला हुआ था। जिसमें सम्पूर्ण दक्षिण भारत (द्रविड़) भी आ जाता था।
16. हिंदू धर्म में आए परिवर्तन-
- नए देवी-देवताओं की पूजा।
- राजाओं द्वारा मंदिरों का निर्माण।
- समाज में पुरोहितों के रूप में ब्राह्मणों का बढ़ता महत्व।
17. संस्कृत ग्रंथों के ज्ञान के कारण समाज में ब्राह्मणों का बड़ा आदर होता था। इनके संरक्षक थे, नए-नए शासक जो स्वयं प्रतिष्ठा की चाह में थे। इन संरक्षकों का समर्थन होने के कारण समाज में इनका दबदबा भी बढ़ गया था।
18. भक्ति की अवधारणा- इसमें ईश्वर की कल्पना एक ऐसे प्रेमल ईस्ट देवी-देवता के रूप में की गई थी जिस तक पुजारियों के विशद कर्मकांड के बिना ही भक्त स्वयं पहुंच सके।
19. मुसलमान- कुरान शरीफ को अपना धर्मग्रंथ मनाते हैं। केवल एक ईश्वर-अल्लाह की सत्ता को स्वीकार करते हैं जिसका प्रेम, करुणा और उदारता अपने में आस्था रखने वाले हर व्यक्ति को गले लगाता है चाहें उस व्यक्ति की सामाजिक पृष्ठभूमि कुछ भी रहीं हों।
20. उन्नीसवीं सदी के मध्य में अंग्रेज इतिहासकारों ने भारत के इतिहास को तीन युगों में बांटा था: हिंदू, मुस्लिम और ब्रिटिश।
21. मध्यकालीन इतिहास से जानकारी मिली- 1. कृषक समाजों के विस्तार, 2. क्षेत्रीय और सामाजिक राज्यों के उदय, 3. प्रधान धर्मों के रूप में हिंदू धर्म।