CHAPTER- 1 सत्ता की साझेदारी
NOTES
1. बेल्जियम- बेल्जियम यूरोप का एक छोटा-सा देश है, क्षेत्रफल में हमारे हरियाणा राज्य से भी छोटा हैं।
- इसकी आबादी एक करोड़ से थोड़ी अधिक है यानी हरियाणा की आबादी से करीब आधी।
- देश की कुल आबादी का 59 फीसदी हिस्सा फ्लेमिश इलाके में रहता और डच बोलता।
- शेष 40 फीसदी लोग वेलोनिया क्षेत्र में रहते हैं और फ्रेंच बोलते हैं।
- शेष एक फीसदी लोग जर्मन बोलते हैं।
- अल्पसंख्यक फ्रेंच-भाषी लोग तुलनात्मक रूप से ज्यादा समृद्ध और ताकतवर रहें हैं।
- डच बोलने वाले लोग संख्या के हिसाब से अपेक्षाकृत ज्यादा थे लेकिन धन और समृद्धि के मामले में कमजोर और अल्पमत में थे।
2. श्रीलंका- श्रीलंका एक द्वीपीय देश है।
- आबादी करीब दो करोड़ है यानी हरियाणा के बराबर।
- सबसे प्रमुख सामाजिक समूह सिंहलियों का है जिनकी आबादी कुल जनसंख्या की 74 फीसदी हैं।
- तमिलों की आबादी कुल जनसंख्या में 18 फीसदी हैं। तमिलों में भी दो समूह हैं- श्रीलंकाई मूल के तमिल (13 फीसदी) और हिंदुस्तानी तमिल।
- अधिकतर सिंहली भाषी लोग बौद्ध है जबकि तमिल भाषी लोगों में कुछ हिंदू हैं और कुछ मुसलमान।
3. श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद-
- सन् 1948 में श्रीलंका स्वतंत्र राष्ट्र बना। लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार ने सिंहली समुदाय की प्रभुता कायम करने के लिए अपनी बहुसंख्यक-परस्ती के तहत कई कदम उठाए।
- 1956 में एक कानून बनाया गया जिसके तहत तमिल को दरकिनार करके सिंहली को एकमात्र राजभाषा घोषित कर दिया गया।
- श्रीलंकाई तमिलों ने अपनी राजनीतिक पार्टियां बनाई और तमिल को राजभाषा बनाने, क्षेत्रिय स्वायत्तता हासिल करने तथा शिक्षा और रोजगार में समान अवसरों की मांग को लेकर संघर्ष किया।
- 1980 के दशक तक उत्तर-पूर्वी श्रीलंका में स्वतंत्र तमिल ईलम (सरकार) बनाने की मांग को लेकर अनेक राजनीतिक संगठन बने।
4. बेल्जियम की समझदारी-
- 1970 और 1993 के बीच उन्होंने अपने संविधान में चार संशोधन सिर्फ इस बात के लिए किए कि देश में रहने वाले किसी भी आदमी को बेगानेपन का अहसास न हो और सभी मिल जुलकर रह सकें।
- बेल्जियम के माॅडल की कुछ मुख्य बातें-
- संविधान में इस बात का स्पष्ट प्रावधान है कि केंद्रीय सरकार में डच और फ्रेंच-भाषी मंत्रियों की संख्या समान रहेगी।
- केंद्र सरकार की अनेक शक्तियां देश के दो इलाकों की क्षेत्रीय सरकारों को सुपुर्द कर दी गई।
- ब्रूसेल्स में अलग सरकार है और इसमें दोनों समुदायों का समान प्रतिनिधित्व हैं।
- केंद्रीय और राज्य सरकारों के अलावा यहां एक तीसरे स्तर की सरकार भी काम करती है यानी सामुदायिक सरकार।
- अनेक यूरोपीय देशों ने साथ मिलकर यूरोपीय संघ बनाने का फैसला किया तो ब्रूसेल्स को उसका मुख्यालय चुना गया।
5. सत्ता की साझेदारी क्यों जरूरी-
- सत्ता का बंटवारा ठीक है क्योंकि इससे विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच टकराव का अंदेशा कम हो जाता हैं।
- सत्ता की साझेदारी दरअसल लोकतंत्र की आत्मा है।
6. युक्तिपरक या समझदारी का तर्क लाभकर परिणामों पर जोर देता है जबकि नैतिक तर्क सत्ता के बंटवारे के अंतर्भूत महत्व को बताता है।
7. आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के अनेक रूप-
- शासन के विभिन्न अंग, जैसे विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच सत्ता का बंटवारा रहता है। इसे सत्ता का क्षैतिज वितरण कहते हैं।
- सरकार के बीच भी विभिन्न स्तरों पर सत्ता का बंटवारा हो सकता है: जैसे, पूरे देश के लिए एक सामान्य सरकार हो और फिर प्रांत या क्षेत्रीय स्तर पर अलग-अलग सरकार रहे।
- सत्ता का बंटवारा विभिन्न सामाजिक समूहों, मसलन, भाषाओं और धार्मिक समूहों के बीच भी हो सकता है।
- सत्ता के बंटवारे का एक रूप हम विभिन्न प्रकार के दबाव-समूह और आंदोलनों द्वारा शासन को प्रभावित और नियंत्रित करने के तरीके में भी लक्ष्य कर सकते हैं।