CHAPTER- 1 विकास
NOTES
1. विकास क्या वादा करता है- विभिन्न व्यक्ति, विभिन्न लक्ष्य
- अलग-अलग लोगों के विकास के लक्ष्य भिन्न हो सकते हैं।
- एक के लिए जो विकास है वह दूसरे के लिए विकास न हो। यहां तक कि वह दूसरे के लिए विनाशकारी भी हो सकता है।
2. आय और अन्य लक्ष्य-
- लोग चाहते हैं कि उन्हें नियमित काम, बेहतर मजदूरी और अपनी उपज अथवा अन्य उत्पादों के लिए अच्छी कीमतें मिले। दूसरे शब्दों में वे ज्यादा आय चाहते हैं।
- विकास के लिए लोग मिले-जुले लक्ष्यों को देखते हैं।
- लोगों के विकास के लक्ष्य केवल बेहतर आय के ही नहीं होते बल्कि जीवन में अन्य महत्वपूर्ण चीजों के बारे में भी होते हैं।
3. राष्ट्रीय विकास-
- लोगों के लक्ष्य भिन्न होते हैं तो उनकी राष्ट्रीय विकास के बारे में धारणा भी भिन्न होती हैं।
- यह समझना बहुत आवश्यक है कि देश के विकास के विषय में विभिन्न लोगों की धारणाएं भिन्न या परस्पर विरोधी हो सकती है।
4. विभिन्न देशों या राज्यों की तुलना कैसे की जाए?
- सामान्यतया हम व्यक्तियों की एक या दो महत्वपूर्ण विशिष्टताएं लेकर उनके आधार पर तुलना करते हैं।
- देशों की तुलना करने के लिए उनकी आय सबसे महत्वपूर्ण विशिष्टता समझी जाती हैं। जिन देशों की आय अधिक है उन्हें कम आय वाले देशों से अधिक विकसित समझा जाता हैं।
- औसत आय- देश की कुल आय को कुल जनसंख्या से भाग देकर निकाली जाती है। औसत आय को प्रतिव्यक्ति आय भी कहा जाता है।
- विश्व बैंक की विश्व विकास रिपोर्ट के अनुसार, देशों का वर्गीकरण करने में इस मापदण्ड का प्रयोग किया गया है।
- भारत मध्य वर्ग के देशों में आता है।
5. आय और अन्य मापदण्ड
- जब हम किसी देश या क्षेत्र के बारे में सोचते हैं तो हम औसत आय के अतिरिक्त अन्य महत्वपूर्ण लक्षणों के विषय में भी सोचते हैं।
- शिशु मृत्यु दर- किसी वर्ष में पैदा हुए 1000 जीवित बच्चों में से एक वर्ष की आयु से पहले मर जाने वाले बच्चों का अनुपात दिखाती है।
- साक्षरता दर- 7 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों में साक्षर जनसंख्या का अनुपात।
- निवल उपस्थिति अनुपात- 14 तथा 15 वर्ष की आयु के स्कूल जाने वाले कुल बच्चों का उस आयु-वर्ग के कुल बच्चों के साथ प्रतिशत।
6. सार्वजनिक सुविधाएं-
- नागरिक कितनी भौतिक वस्तुएं और सेवाएं प्रयोग कर सकते हैं, इसके लिए आय अपने आय में संपूर्ण रूप से पर्याप्त सूचक नहीं है।
- यह सरकार द्वारा अपने नागरिकों को प्रदान की जाने वाली सुविधाएं हैं।
7. विकास की धारणीयता-
- सतत् विकास को विकास के रूप में परिभाषित किया जा सकतें हैं जो भविष्य के पीड़ी की क्षमता के समझौता किए बिना वर्तमान की जरूरतों को पूरा करता है वैज्ञानिक चेतावनी देते रहे हैं कि वर्तमान प्रकार और विकास के स्तर टिकाऊ नहीं हैं।