Chapter-11 ध्वनि
NOTES
1. ध्वनि- ध्वनि ऊर्जा का एक रूप है जो हमारे कानों में श्रवण का संवेदन उत्पन्न करती है।
2. ध्वनि का उत्पादन- किसी वस्तु में घर्षण द्वारा, खुरच कर, रगड़ कर, वायु फूंक कर या हिलाकर ध्वनि उत्पन्न कर सकते हैं। वस्तु को कंपमान करते हैं और ध्वनि उत्पन्न करते।
- कंपन का अर्थ होता है किसी वस्तु का तेजी से बार-बार इधर-उधर गति करना।
- उदाहरण- मनुष्यों में वाक ध्वनि उनके वाक-तंतुओं के कंपित होने के कारण उत्पन्न होती है।
3. ध्वनि का संचरण- द्रव्य या पदार्थ जिससे होकर ध्वनि संरचित होती है, माध्यम कहलाता है। यह ठोस, द्रव या गैस हो सकता है।
- तरंग एक विक्षोभ हैं जो किसी माध्यम से होकर गति करता है और माध्यम के कण निकटवर्ती कणों में गति उत्पन्न कर देते हैं। माध्यम के कण स्वयं आगे नहीं बढ़ते, लेकिन विक्षोभ आगे बढ़ जाता है।
- ध्वनि तरंगें माध्यम के कणों की गति द्वारा अभिलक्षित की जाती है और यांत्रिक तरंगें कहलातीं हैं।
- ध्वनि के संचरण के लिए वायु सबसे अधिक सामान्य माध्यम है।
- संपीडन (C)- उच्च दाब का क्षेत्र
- विरलन (R)- निम्न दाब का क्षेत्र
- इस प्रकार ध्वनि का संचरण घनत्व परिवर्तन के संरचण के रूप में भी देखा जा सकता है।
I. ध्वनि तरंगें
a) अनुदैध्र्य तरंगें- किसी माध्यम में विक्षोभ के संचरण तथा विक्षोभ की तुलना कर सकते हैं। ये तरंगें अनुदैध्र्य तरंगें कहलातीं हैं।
- ध्वनि तरंगें अनुदैध्र्य तरंगें है क्योंकि इन तरंगों में माध्यम के कणों का विस्थापन विक्षोभ के संचरण की दिशा के समांतर होता है।
b) अनुप्रस्थ तरंग- अनुप्रस्थ तरंग वह तरंग है जिसमें माध्यम के कण अपनी माध्य स्थितियों पर तरंग के संचरण की दिशा के लंबवत् गति करते हैं।
- उदाहरण- किसी तालाब में पत्थर का टुकड़ा फेंकने पर जल की सतह पर दिखाई देने वाली तरंगें अनुप्रस्थ तरंग का एक उदाहरण है। प्रकाश भी अनुप्रस्थ तरंग है।
II. ध्वनि तरंग के अभिलक्षण- 1. आवृत्ति, 2. आयाम, 3. वेग
- तरंगदैध्र्य- दो क्रमागत संपीडनो (C) अथवा दो क्रमागत विरलनों (R) के बीच की दूरी तरंगदैध्र्य कहलाती है। इसका S.I मात्रक मीटर (m)
नोट- हैनरिच रुडोल्फ हर्ट्ज तथा जे.सी. मैक्सवेल के विद्युतचुंबकीय सिद्धांतों की प्रयोगों द्वारा पुष्टि की।
- इन्होंने रेडियो, टेलिफोन, टेलीग्राफ तथा टेलीविजन के भी भविष्य के विकास की नींव रखी। प्रकाश-विद्युत प्रभाव की भी खोज की।
- आवृत्ति का S.I मात्रक का नाम इन्हीं के नाम पर रखा गया।
- आवृत्ति- एकांक समय में दोलनो की कुल संख्या ध्वनि तरंग की आवृत्ति कहलाती है।
- इसे सामान्यतः ग्रीक अक्षर, न्यू से प्रदर्शित किया जाता है।
- इसका S.I मात्रक हर्ट्ज (hertz, प्रतीक Hz) है।
- आवर्तकाल- दो क्रमागत संपीडनो या दो क्रमागत विरलनों को किसी निश्चित बिंदु से गुजरने में लगे समय को तरंग का आवर्तकाल कहते हैं। T से निरूपित करते हैं।
- S.I मात्रक सेकंड (s) है।
- आवृत्ति तथा आवर्तकाल के बीच संबंध = V=1/T
- तारत्व- किसी उत्सर्जित ध्वनि की आवृत्ति को मस्तिष्क किस प्रकार अनुभव करता है, उसे तारत्व कहते हैं।
- आयाम- किसी माध्यम में मूल स्थिति के दोनों और अधिकतम विक्षोभ को तरंग का आयाम कहते हैं। इसे A से निरूपित करते हैं।
- ध्वनि के लिए इसका मात्रक दाब या घनत्व का मात्रक होगा।
- ध्वनि की प्रबलता अथवा मृदुता मूलतः इसके आयाम से ज्ञात की जाती है।
- प्रबल ध्वनि- अधिकतम आयाम
- मृदु ध्वनि- कम आयाम
- एकल आवृत्ति की ध्वनि को येन कहते हैं।
- अनेक आवृत्तियों के मिश्रण से उत्पन्न ध्वनि को स्वर कहते हैं।
- शोर कर्णप्रिय नहीं होता।
- तरंग वेग- तरंग के किसी बिंदु जैसे एक संपीडन या एक विरलन द्वारा एकांक समय में तय की गई दूरी तरंग वेग कहलाता है।
वेग =दूरी/समय
वेग =तरंगदैध्र्य/समम =तरंगदैध्र्य =1×T
- आवृत्ति =1/आवर्तकाल or वेग =तरंगदैध्र्य×आवृत्ति
नोट- किसी माध्यम के लिए समान भौतिक परिस्थितियों में ध्वनि का वेग सभी आवृत्तियों के लिए लगभग स्थिर रहता है।
- ध्वनि की तीव्रता- किसी एकांक क्षेत्रफल से एक सेंकड से गुजरने वाली ध्वनि ऊर्जा को ध्वनि की तीव्रता कहते हैं।
III. विभिन्न माध्यमों में ध्वनि की चाल-
- ध्वनि की चाल उस माध्यम के गुणों पर निर्भर करती है जिसमें ये संरचित होती है।
- किसी माध्यम में ध्वनि की चाल माध्यम के ताप पर निर्भर करती है।
4. ध्वनि का परावर्तन- प्रकाश की भांति ध्वनि भी किसी ठोस या द्रव की सतह से परावर्तित होती है तथा परावर्तन के उन्हीं नियमों का पालन करती है।
A) प्रतिध्वनि- किसी उचित परावर्तक वस्तु जैसे किसी इमारत अथवा पहाड़ के निकट यदि आप जोर से चिल्लाएं या ताली बजाएं तो आपको कुछ समय पश्चात वहीं ध्वनि फिर से सुनाई देती है। इस ध्वनि को प्रतिध्वनि कहते हैं।
- हमारे मस्तिष्क में ध्वनि की संवेदना लगभग 0.15 तक बनी रहती है।
B) अनुरणन- बारंबार परावर्तन जिसके कारण ध्वनि-निर्बंध होता है, अनुरणन कहलाता है।
- किसी सभा भवन या बड़े हांल में अत्यधिक अनुरणन अत्यंत अवांछनीय है। अनुरणन को कम करने के लिए सभा भवन की छतों तथा दीवारों पर ध्वनि अवशोषक पदार्थों जैसे संपीडित फाइबर बोर्ड, खुरदरे प्लास्टर अथवा पर्दे लगे होते हैं।
C) ध्वनि के बहुल परावर्तन के उपयोग-
1. मेगाफोन या लाउडस्पीकर, हांर्न, तूर्य तथा शहनाई जैसे वाद्य यंत्र, सभी इस प्रकार बनाए जाते हैं कि ध्वनि सभी दिशाओं में फैले बिना केवल एक विशेष दिशा में ही जाती है।
2. स्टेथोस्कोप में रोगी के हृदय की धड़कन की ध्वनि, बार-बार परावर्तन के कारण डॉक्टर के कानों तक पहुंचती है।
3. कंसर्ट हॉल, सम्मेलन कक्षों तथा सिनेमा हॉल की छतें वक्राकार बनाई जाती है जिससे कि परावर्तन के पश्चात् ध्वनि हॉल के सभी भागों में पहुंच जाए।
5. श्रव्यता का परिसर- मनुष्यों में ध्वनि की श्रव्यता का परिसर =20Hz से 20,000Hz
- पांच वर्ष से कम आयु के बच्चे तथा कुछ जंतु जैसे कुत्ते =25Hz
- 20Hz से कम आवृत्ति की ध्वनियों को अवश्रव्य ध्वनि कहते हैं।
- उदाहरण- राइनोसिरस (गैंडा) (5Hz), व्हेल तथा हाथी अवश्रव्य ध्वनि परिसर की ध्वनियां सुनते हैं।
- • 20Hz से अधिक आवृत्ति की ध्वनियों को पराश्रव्य ध्वनि या पराध्वनि कहते हैं।
- उदाहरण- डॉल्फिन, चमगादड़ और पांरपांइज जैसे जंतु पराध्वनि उत्पन्न करते हैं।
6. पराध्वनि के अनुप्रयोग- पराध्वनियां उच्च आवृत्ति की तरंगें है। उद्योगों तथा चिकित्सा के क्षेत्र में पराध्वनियों का विस्तृत रूप से उपयोग किया जाता है।
- सर्पीलाकार नली, विषम आकार के पुर्जे, इलेक्ट्रानिक अवयव आदि कुछ ऐसे भाग जहां पहुंचना कठिन है। उनकी सफाई के लिए पराध्वनि का प्रयोग किया जाता है।
- पराध्वनि का उपयोग धातु के ब्लॉकों (पिंडों) में दरारों तथा अन्य दोषों का पता लगाने के लिए किया जाता है।
- पराध्वनि तरंगों को हृदय के विभिन्न भागों से परावर्तित करा कर हृदय का प्रतिबिंब बनाया जाता है। इस तकनीक को इकोकार्डियोग्राफी (ECG) कहा जाता है।
- पराध्वनि संसूचक- एक ऐसा यंत्र है जो पराध्वनि तरंगों का उपयोग करके मानव शरीर के आंतरिक अंगों का प्रतिबिंब प्राप्त करने के लिए काम में लाया जाता है। इस संसूचक से रोगों के अंगों; जैसे यकृत, पित्ताशय, गर्भाशय, गुर्दे आदि का प्रतिबिंब प्राप्त किया जा सकता है। इस तकनीक को अल्ट्रासोनोग्राफी कहते हैं।
- पराध्वनि का उपयोग गुर्दे की छोटी पथरी को बारीक कणों में तोड़ने के लिए भी किया जा सकता है।