CLASS- 8 S.S.T (इतिहास)

 

CHAPTER- 1 प्रारंभिक कथन: कैसे, कब और कहां

NOTES

1. इतिहास- आम समझ के हिसाब से इतिहास को तारीखों का पर्याय माना जाता था। इतिहास अलग-अलग समय पर आने वाले बदलावों के बारे में ही होता हैं।
  • इसका संबंध इस बात से है कि अतीत में चीजें किस तरह की थी और उनमें क्या बदलाव आए हैं।
2. 1817 में स्काॅटलैंड के अर्थशास्त्री और राजनीतिक दार्शनिक जेम्स मिल ने तीन विशाल खंडों में ए हिस्ट्री ऑफ ब्रिटिश इंडिया (ब्रिटिश भारत का इतिहास) नामक एक किताब लिखी इस किताब में उन्होंने भारत के इतिहास को हिंदू, मुस्लिम और ब्रिटिश इन तीन काल खंडों में बांटा था।

3. मिल को लगता था कि भारत में अंग्रेजों के आने से पहले यहां हिंदू और मुस्लिम तानाशाहों का ही राज चलता था। यहां चारों ओर केवल धार्मिक बैर, जातिगत बंधनों और अंधविश्वास का ही बोलबाला था।
  • मिल की राय में ब्रिटिश शासन भारत को सभ्यता की राह पर ले जा सकता था।
  • मिल का सुझाव था कि अंग्रेजों को भारत के सारे भूभाग पर कब्जा कर लेना चाहिए ताकि भारतीय जनता को ज्ञान और सुखी जीवन प्रदान किया जा सके। उनका मानना था कि अंग्रेजों की मदद के बिना हिंदुस्तान प्रगति नहीं कर सकता।
  • अंग्रेजों के शासन में लोगों के पास समानता, स्वतंत्रता या मुक्ति नहीं थी। न ही यह आर्थिक विकास और प्रगति का दौर था। बहुत सारे इतिहासकार इस युग को औपनिवेशिक युग कहते हैं।
4. औपनिवेशिक क्या होता है- अंग्रेजों ने हमारे देश को जीता और स्थानीय नवाबों और राजाओं को दबाकर अपना शासन स्थापित किया। उन्होंने अर्थव्यवस्था व समाज पर नियंत्ररण स्थापित किया, अपने सारे खर्चों को निपटाने के लिए राजस्व वसूल किया। ब्रिटिश शासन के कारण यहां की मूल्य-मान्यताओं और पसंद-नापसंद, रीति-रिवाज व तौर-तरीकों में बदलाव आयें।
  • जब एक देश पर दूसरे देश के दबदबे से इस तरह के राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक बदलाव आते हैं तो इस प्रक्रिया को औपनिवेशीकरण कहा जाता है।
5. अंग्रेजी शासन द्वारा तैयार किए गए सरकारी रिकॉर्ड इतिहासकारों का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
  • अंग्रेजी की मान्यता थी कि चीजों को लिखना बहुत महत्वपूर्ण होता है। उनके लिए हर निर्देश, हर योजना, नीतिगत फैसले, सहमति, जांच को साफ-साफ लिखना ज़रूरी था।
  • लिहाजा उन्होंने सभी शासकीय संस्थानों में अभिलेख कक्ष भी बनवा दिए। तहसील के दफ्तर, कलेक्टरेट, कमिश्नर के दफ्तर, प्रांतीय सचिवालय, कचहरी सबके अपने रिकॉर्ड रूम होते थे।
  • महत्वपूर्ण दस्तावेजों को बचाने के लिए अभिलेखागार और संग्रहालय जैसी संस्था बनवाई।
6. खुशनवीसी या सुलेखनवीस- ऐसे लोग जो बहुत सुंदर ढंग से चीजें लिखते हैं।

7. सर्वेक्षण का बढ़ता महत्व- औपनिवेशिक शासन के दौरान सर्वेक्षण का चलन भी महत्वपूर्ण होता गया।
  • उन्नीसवीं सदी की शुरुआत तक पूरे देश का नक्शा तैयार करने के लिए बड़े-बड़े सर्वेक्षण किए जाने लगे। इन सर्वेक्षणों में धरती की सतह, मिट्टी की गुणवत्ता, वहां मिलने वाले पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं तथा स्थानीय इतिहासों व फसलों का पता लगाया।
  • जनगणना- जनगणना के जरिए भारत के सभी प्रांतों में रहने वाले लोगों की संख्या, उनकी जाति, इलाके और व्यवसाय के बारे में जानकारियां इकट्ठा की जाती। 
  • इसके अलावा वानस्पतिक सर्वेक्षण, प्राणि वैज्ञानिक सर्वेक्षण, पुरातात्विय सर्वेक्षण, मानवशास्त्रीय सर्वेक्षण, वन सर्वेक्षण आदि कई दूसरे सर्वेक्षण किए जाते।
8. अधिकृत रिकॉर्ड्स से क्या पता नहीं चलता- ये सारे सरकारी रिकॉर्ड होते हैं। इनमें हमें यही पता चलता है कि सरकारी अफसर क्या सोचते थे, उनकी दिलचस्पी किन चीजों में थी, वे किन चीजों को बचाए रखना चाहते थे। इन रिकॉर्ड्स से हमें ये समझने में हमेशा मदद नहीं मिलती कि देश के दूसरे लोग क्या महसूस करते थे और उनकी कार्रवाइयों की क्या वजह थी।
  • जैसे-जैसे छपाई की तकनीक फैली, अखबार छपने लगे और विभिन्न मुद्दों पर जनता में बहस भी होने लगीं। नेताओं और सुधारकों ने अपने विचारों को फ़ैलाने के लिए लिखा, कवियों और उपन्यासकारों ने अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए लिखा।
  • ये सारे स्त्रोत उन लोगों ने रचे जो पढ़ना-लिखना जानते थे। इनमें हम यह पता नहीं लगा सकते कि आदिवासी और किसान, खदानों में काम करने वाले मजदूर या सड़कों पर जिंदगी गुजारने वाले गरीब किस तरह के अनुभावों से गुजर रहे थे।