CHAPTER- 1 लेखन कला और शहरी जीवन
NOTES
1. शहरी जीवन की शुरुआत मेसोपोटामिया में हुई थी। फरात और दजला नदियों के बीच स्थित यह प्रदेश आजकल इराक गणराज्य का हिस्सा है। मेसोपोटामिया नाम यूनानी भाषा के दो शब्दों मेसोस यानी मध्य और पोटैमोस यानी नदी से मिलकर बना है।2. मेसोपोटामिया और उसका भूगोल
- इराक भौगोलिक विविधता का देश है। यहां स्वच्छ झरने तथा जंगली फूल है। यहां अच्छी फसल के लिए पर्याप्त वर्षा हो जाती है।
- उत्तर में ऊंची भूमि हैं जहां स्टेपी घास के मैदान है यहां पशुपालन खेती की तुलना में आजीविका का अधिक अच्छा साधन हैं।
- दक्षिणी भाग एक रेगिस्तान है और यही वह स्थान है जहां सबसे पहले नगरों और लेखन-प्रणाली का प्रादुर्भाव हुआ।
- फरात नदी रेगिस्तान में प्रवेश करने के बाद कई धाराओं में बंटकर बहने लगती है। कभी-कभी इन धाराओं में बाढ़ आ जाती है और पुराने जमाने में ये धाराएं सिंचाई की नहरों का काम देती थी।
- खेती के अलावा भेड़-बकरियां स्टेपी घास मैदानो, पूर्वोत्तरी मैदानों और पहाड़ों के ढालो पर पाली जाती थी, जिनसे भारी मात्रा में मांस, दूध और ऊन आदि वस्तुएं मिलती थी।
- मेसोपोटामिया के प्राचीनतम नगरों का निर्माण कांस्य युग यानी लगभग 3000 ई. पू. में शुरू हो गया था।
- जब किसी अर्थव्यवस्था में खाद्य उत्पादन के अतिरिक्त अन्य आर्थिक गतिविधियां विकसित होने लगती है तब किसी एक स्थान पर जनसंख्या का घनत्व बढ़ जाता है।
- नगर के लोग आत्मनिर्भर नहीं रहते और उन्हें नगर या गांव के अन्य लोगों द्वारा उत्पन्न वस्तुओं या दी जाने वाली सेवाओं के लिए उन पर आश्रित होना पड़ता है।
- शहरी अर्थव्यवस्था में एक सामाजिक संगठन का होना भी जरूरी है।
- शहरी विनिर्माताओं के लिए ईंधन, धातु, विभिन्न प्रकार के पत्थर, लकड़ी आदि जरूरी चीजें भिन्न-भिन्न जगहों से आती हैं जिनके लिए संगठित व्यापार और भंडारण की भी आवश्यकता होती है।
- प्राचीन काल के मेसोपोटामियाई लोग लकड़ी, तांबा, रांगा, चांदी, सोना, सीपी और विभिन्न प्रकार के पत्थरों को तुर्की और ईरान अथवा खाड़ी-पार के देशों से मांगते थे।
- जिसके लिए वे अपना कपड़ा और कृषि-जन्य उत्पाद काफी मात्रा में उन्हें निर्यात करते थे।
- शिल्प, व्यापार और सेवाओं के अलावा, कुशल परिवहन व्यवस्था भी शहरी विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होती है।
- परिवहन का सबसे सस्ता तरीका सर्वत्र जलमार्ग ही होता हैं।
- अनाज के बोरों से लदी हुई नावे या बजरे, नदी की धारा अथवा हवा के वेग से चलते हैं, जिसमें कोई खर्चा नहीं लगता, जबकि जानवरों से माल की ढुलाई की जाए तो उन्हें चारा खिलाना पड़ता है।
5. लेखन कला का विकास
- सभी समाजों के पास अपनी एक भाषा होती है जिसमें उच्चरित ध्वनियां अपना अर्थ प्रकट करती है। इसे मौखिक या शाब्दिक भावाभिव्यक्ति कहते हैं।
- मेसोपोटामिया में जो पहली पट्टिकाएं पाई गई है वे लगभग 3200 ई. पू. की है। उनमें चित्र जैसे चिन्ह और संख्याएं दी गई है।
- लेखन कार्य तभी शुरू हुआ जब समाज को अपने लेन-देन का स्थायी हिसाब रखने की जरूरत पड़ीं क्योंकि शहरी जीवन में लेन-देन अलग-अलग समय पर होते थे, उन्हें करने वाले भी कई लोग होते थे और सौदा भी कई प्रकार के माल के बारे में होता था।
- मेसोपोटामिया के लोग मिट्टी की पट्टिकाओं पर लिखा करते थे। मेसोपोटामिया के खुदाई स्थलों पर सैकड़ों पट्टिकाएं मिली है।
- लगभग 2600 ई. पू. के आसपास वर्ण कीलाकार हो गए और भाषा सुमेरियन थी।
- अक्कादी भाषा में कीलाकार लेखन का रिवाज ईसवी सन् की पहली शताब्दी तक अर्थात् 2000 से अधिक वर्षों तक चलता रहा।
6. लेखन प्रणाली
- मेसोपोटामिया के लिपिक को सैकड़ों चिन्ह सीखने पडते थे और उसे गीली पट्टी पर उसके सूखने से पहले ही लिखना होता था।
- मेसोपोटामिया के बहुत कम लोग पढ़-लिख सकते थे। न केवल प्रतीकों या चिन्हों की संख्या सैकड़ों में थी, बल्कि ये कही अधिक पेचीदा थे।
8. लेखन का प्रयोग
- मेसोपोटामिया की परंपरागत कथाओं के अनुसार, उरुक एक अत्यंत सुंदर शहर था जिसे अक्सर केवल शहर कहकर ही पुकारा जाता था।
- सुमेर के व्यापार की पहली घटना को एनमर्कर के साथ जोड़ा जाता है। उस महाकाव्य में कहा गया है कि उन दिनों व्यापार क्या होता है, यह कोई नहीं जानता था।
- मेसोपोटामिया की विचारधारा के अनुसार सर्वप्रथम राजा ने ही व्यापार और लेखन की व्यवस्था की थी।
9. दक्षिणी मेसोपोटामिया का शहरीकरण- मंदिर और राजा
- 5000 ई. पू. से दक्षिणी मेसोपोटामिया में बस्तियों का विकास होने लगा था।
- इन बस्तियों में से कुछ ने प्राचीन शहरों का रूप ले लिया।
- ये शहर कई तरह के थे। पहले वे जो मंदिरों के चारों ओर विकसित हुए दूसरे जो व्यापार के केंद्रो के रूप में विकसित हुए और शेष शाही शहर थें।
- सबसे पहला ज्ञात मंदिर एक छोटा-सा देवालय था जो कच्ची ईंटों का बना हुआ था।
- कुछ प्रारंभिक मंदिर साधारण घरों से अलग किस्म के नहीं होते थे- क्योंकि मंदिर भी किसी देवता का घर ही होता था।
- मंदिरों की बाहरी दीवारें कुछ खास अंतराल के बाद भीतर और बाहर की ओर मुड़ी हुई होती थी। यह मंदिरों की विशेषता थी।
- लोग देवी-देवता के लिए अन्न, दही, मछली लाते थे।
- आराध्य देव सैध्दांतिक रूप से खेतों, मत्स्य क्षेत्रों और स्थानीय लोगों के पशुधन का स्वामी आना जाता था।
- मेसोपोटामिया के इतिहास में गांव समय-समय पर पुनः स्थापित किए जाते रहे हैं। कारण था प्राकृतिक आपदाएं तथा मानव निर्मित समस्याएं
- मेसोपोटामिया के तत्कालीन देहातों में जमीन और पानी के लिए बार-बार झगड़े हुआ करते थे।
- जब किसी क्षेत्र में लंबे समय तक लड़ाई चलती तो जो मुखिया लड़ाई जीतता वो अपने साथियों, अनुयायियों को लूट का माल बांटता तथा हारे हुए समूह में से लोगों को बंदी बनाकर ले जाते और उन्हें नौकर या चौकीदार बना लेते।
- ये नेता लोग स्थायी रूप से समुदाय के मुखिया नहीं बने रहते आज है तो कल चले जाते।
- 3000 ई. पू. के आसपास जब उरुक नगर का 250 हैक्टेयर भूमि में विस्तार हुआ तो उसके कारण दर्जनों छोटे-छोटे गांव उजड़ गए और बड़ी संख्या में आबादी का विस्थापन हुआ। उसका यह विस्तार शताब्दियों बाद फले फूले मोहनजोदड़ो नगर से दो गुना था।
- उरुक नगर 4200 ई. पू. से 400 ईसवी तक बराबर अपने अस्तित्व में बना रहा और उस दौरान 2800 ई. पू. के आसपास वह बढ़कर 400 हैक्टेयर में फैला।
- युद्धबंदियों और स्थानीय लोगों को अनिवार्य रूप से मंदिर का अथवा प्रत्यक्ष रूप से शासक का काम करना पड़ता था। काम के बदले अनाज दिया जाता।
- मूर्तिकला के क्षेत्र में भी उच्चकोटि की सफलता प्राप्त की गई, इस कला के सुंदर नमूने आसानी से उपलब्ध होने वाली चिकनी मिट्टी की अपेक्षा अधिकतर आयातित पत्थरों से तैयार किए जाते थे।
10. शहरी जीवन
- उर में राजाओं और रानियों की कुछ कब्रों में बहुमूल्य चीजें विशाल मात्रा में दफनाई गई मिली है।
- कानूनी दस्तावेजों से पता चलता है कि मेसोपोटामिया के समाज में एकल परिवार को ही आदर्श माना जाता था। हालांकि शादीशुदा बेटा और उसका परिवार अपने माता-पिता के साथ ही रहा करते थे। पिता परिवार का मुखिया होता था।
विवाह की प्रक्रिया या विधि-
- विवाह करने की इच्छा के बारे में घोषणा की जाती थी और वधु के माता-पिता उसके विवाह के लिए अपनी सहमति देते थे।
- उसके बाद, वर पक्ष के लोग वधू को उपहार देते थे।
- विवाह की रस्में पूरी हो जाती, तब दोनों पक्षों से उपहारों का आदान-प्रदान किया जाता था और वे एक साथ बैठकर भोजन करते और फिर मंदिर में जाकर भेंट चढा़ते थे।
- नववधू को उसकी सास लेने आती, तब वधू को उसके पिता द्वारा उसकी दाय का हिस्सा दे दिया जाता था।
उर नगर-
- यह उन नगरों में से एक था जहां सबसे पहले खुदाई की गई थी।
- यह एक ऐसा नगर था जिसके साधारण घरों की खुदाई 1930 के दशक में सुव्यवस्थित ढंग से की गई।
- टेढ़ी-मेढ़ी व संकरी गलियां पाईं गईं।
- पतली व घुमावदार गलियों तथा घरों के भू-खंडों का एक जैसा आकार न होने से यह निष्कर्ष निकलता कि नगर-नियोजन की पद्धति का अभाव था।
- गलियों के किनारे जल-निकासी के लिए उस तरह की नालियां नही थी जैसी कि उसके समकालीन नगर मोहनजोदड़ो में पाईं गईं हैं।
- जल-निकासी की नालियां और मिट्टी की नलिकाएं उर नगर के घरों के भीतरी आंगन में पाईं गईं हैं।
- लोग अपने घर का सारा कूड़ा-कचरा बुहारकर गलियों में डाल देते थे।
- कमरों के अंदर रोशनी खिड़कियों से नहीं, बल्कि उन दरवाजों से होकर आती थी जो आंगन में खुला करते थे। इससे घरों के परिवारों की गोपनीयता भी बनी रहती थी।
- उर में नगरवासियों के लिए एक कब्रिस्तान था।
11. पशुचारक क्षेत्र में व्यापारिक नगर-
- 2000 ई. पू. के बाद मारी नगर शाही राजधानी के रूप में फला-फूला।
- मारी राज्य में वैसे तो किसान और पशुचारक दोनों ही तरह के लोग होते थे लेकिन उस प्रदेश का अधिकांश भाग भेड़-बकरी चराने के लिए ही काम में लिया जाता था।
- पशुचारकों को जब अनाज, धातु के औजारों आदि की जरूरत पड़ती थी तब वे अपने पशुओं तथा उनके पनीर, चमड़ा तथा मांस आदि के बदले ये चीजें प्राप्त करते थे।
- गड़रिये कई बार अपनी भेड़-बकरियों को पानी-पिलाने के लिए बोए हुए खेतों से गुजार कर ले जाते थे जिससे किसान की फसल को नुक़सान पहुंचता था। ये गड़रिये खानाबदोश होते थे और कई बार किसानों के गांवों पर हमला बोलकर उनका इकट्ठा किया माल लूट लेते थे।
- ये खानाबदोश लोग अक्कदी, एमोराइट, असीरियाई और आर्मीनियन जाति के थे।
- मारी के राजा एमोराइट समुदाय के थे। उनकी पोशाक वहां के मूल निवासियों से भिन्न होती थी।
- उन्होंने मेसोपोटामिया के देवी-देवताओं का आदर ही नहीं किया बल्कि स्टेपी क्षेत्र के देवता डैगन के लिए मारी नगर में एक मंदिर भी बनवाया।
- मारी नगर एक अत्यंत महत्वपूर्ण व्यापारिक स्थल पर स्थित था जहां से होकर लकड़ी, तांबा, रांगा, तेल, मदिरा और अन्य कई किस्मों का माल नावों के जरिए फरात नदी के रास्ते दक्षिण और तुर्की सीरिया और लेबनान के ऊंचे इलाकों के बीच लाया-ले जाया जाता था।
- मारी राज्य सैनिक दृष्टि से उतना सबल नहीं था, परंतु व्यापार और समृध्दि के मामले में वह अद्वितीय था।
12. मेसोपोटामिया संस्कृति में शहरों का महत्व-
- मेसोपोटामिया के लोगों को अपने नगरों पर कितना अधिक गर्व था इस बात का सबसे अधिक मर्मस्पर्शी वर्णन हमें गिलोमिश महाकाव्य के अंत में मिलता है। यह काव्य 12 पट्टिकाओं पर लिखा गया था।
- गिल्गेमिश- वह एक महान योद्धा था जिसने दूर-दूर तक के प्रदेशों को अपने अधीन कर लिया था, लेकिन उसे उस समय गहरा झटका लगा जब उसका वीर मित्र अचानक मर गया।
13. लेखन कला की देन-
- मेसोपोटामिया की दुनिया को सबसे बड़ी देन है उसकी कालगणना और गणित की विद्वत्तापू्र्ण परंपरा है।
- 1800 ई. पू. के आसपास की कुछ पट्टिकाएं मिली है जिनमें गुणा और भाग की तालिकाएं, वर्ग तथा वर्गमूल और चक्रवृद्धि ब्याज की सारणियां दी गई है। उनमें 2 का वर्गमूल यह दिया गया है:
1+24/60+51/602+10/603
इसे हल करे तो इसका उत्तर 1.41421296 होगा जो इसके सही उत्तर 1.41421356 से थोड़ा-सा भिन्न है।
- पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा की परिक्रमा के अनुसार एक पूरे वर्ष का 12 महीनों में विभाजन, एक महीने का 4 हफ्तों में विभाजन, एक दिन का 24 घंटों में और एक घंटे का 60 मिनट में विभाजन यह सब जो आज हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का अचेतन हिस्सा है, मेसोपोटामियावासियों से ही हमें मिला है।
- जब कभी सूर्य और चंद्र ग्रहण होते थे तो वर्ष, मास और दिन के अनुसार उनके घटित होने का हिसाब रखा जाता था। इसी प्रकार रात को आकाश में तारों और तारामंडल की स्थिति पर बराबर नजर रखते हुए उनका हिसाब रखा जाता था।