CHAPTER- 2 सजीव जगत में विविधता
NOTES
1. हम अपने आस-पास चारों तरफ देंखे तो हमें देखने को मिलता है कि चारों तरफ़ अलग-अलग तरह के पेड़, पक्षी, पशु आदि रहते हैं। ये सभी विविध हैं।2. कुछ जीव-जंतु भूमि पर रहते हैं, कुछ वृक्षों पर। पक्षी वृक्षों पर रहते हैं। मछलियां जल में रहतीं हैं और मेंढक जैसे कुछ जंतु भूमि के साथ-साथ जल में भी रहते हैं।
3. जंतुओं द्वारा खाए जाने वाले भोजन और उनकी गति के प्रकारों में भी विविधता है।
4. किसी विशेष क्षेत्र में पाए जाने वाले पौधों और जंतुओं की विविधता उस क्षेत्र की जैव विविधता का भाग होता है। किसी क्षेत्र की जैव विविधता में प्रत्येक सदस्य की एक अलग भूमिका होती है। जैसे- पेड़ कुछ पक्षियों और जंतुओं को भोजन और आश्रय प्रदान करते हैं, जंतु फल खाने के बाद बीज फैलाने में सहायता करते हैं।
5. वृक्ष- कुछ पौधे बहुत ऊंचे होते हैं और उनके तने मोटे, कठोर, भूरे और काष्ठीय (लकड़ी जैसे) होते हैं। उनकी शाखाएं भूमि से दूर तने की कुछ ऊंचाई से निकलना आरंभ होती है। ऐसे पौधों का वृक्ष कहा जाता है। उदाहरण- अमरूद का पेड़
6. झाड़ी- कुछ पौधों के तने वृक्षों की तरह ऊंचे नहीं होते हैं। इस प्रकार के पौधों के अनेक भूरे रंग के काष्ठीय तने होते हैं, जो भूमि के निकट से शाखाओं के रूप में निकलते हैं। ये तने कठोर होते हैं लेकिन वृक्ष के तने जितने मोटे नहीं होते हैं। ऐसे पौधों को झाड़ी कहा जाता है। उदाहरण- गुलाब का पौधा
7. शाक- कुछ पौधे आकार में छोटे होते हैं और उनके तने, कोमल और हरे होते हैं। इन्हें शाक कहा जाता है। उदाहरण- टमाटर का पौधा
8. आरोही लता- कुछ पौधों के तने दुर्बल होते हैं और उनको ऊपर चढ़ने के लिए सहारे की आवश्यकता होती है, उन्हें आरोही लता कहा जाता हैं।
9. विसर्पी लता- कुछ पौधे भूमि की सतह पर फैलकर बढ़ते हैं और उनको विसर्पी लता कहते हैं।
10. शिराएं- आप पौधों की पत्तियों पर पतली रेखाएं देख सकते हैं, इन पतली रेखाओं को शिराएं कहते हैं। शिराओं द्वारा दर्शाए गए पैटर्न को शिरा-विन्यास कहा जाता है।
11. जालिकारूपी शिरा विन्यास- आप कुछ पत्तियों में मोटी मध्य शिरा के दोनों ओर शिराओं का एक जाल जैसा पैटर्न देख सकते हैं, इस पैटर्न को जालिकारूपी शिरा विन्यास कहा जाता हैं।
12. समांतर शिरा-विन्यास- आप देख सकते हैं कि कुछ पत्तियों में शिराएं समानांतर चलती हैं। इस पैटर्न को समांतर शिरा-विन्यास कहा जाता हैं।
13. मूसला जड़- कुछ पौधों की जड़ में एक मुख्य जड़ होती है जिससे छोटी-छोटी पार्श्व जड़े निकलतीं हैं, ऐसी जड़ों को मूसला जड़ कहते हैं।
14. झकडा़ जड़- कुछ पौधों की जड़ें समान माप की पतली जड़ों के गुच्छों के रूप में दिखाई देती है जो तने के आधार से निकलती हैं। ऐसी जड़ों को झकड़ा जड़ अथवा रेशेदार जड़ कहते हैं।
15. बीजपत्र- कुछ बीज अपने बीज आवरण के अंदर दो भागों में विभक्त होते हैं, प्रत्येक भाग को बीजपत्र कहा जाता हैं।
- जिन पौधों के बीजों में दो बीजपत्र होते हैं, उन्हें द्विबीजपत्री कहा जाता है। द्विबीजपत्री पौधों में जालिकारूपी शिरा-विन्यास और मूसला जड़तंत्र होता है।
- कुछ बीजों में एक पतला बीजपत्र होता है, ऐसे बीज वाले पौधों को एकबीजपत्री कहा जाता है। एकबीजपत्री पौधों में समांतर शिरा-विन्यास और झकड़ा जड़तंत्र होता है।
16. पौधों की भांति जंतु भी एक-दूसरे से बहुत भिन्न होते हैं।
- विभिन्न जंतुओं में अलग-अलग प्रकार की गति होती हैं। जंतु उड़ सकते हैं, दौड़ सकते हैं, रेंग सकते हैं, चल सकते हैं, कूद या फांद सकते हैं।
17. एक प्रकार के क्षेत्र में पाए जाने वाले पौधे एवं जंतु अन्य प्रकार के क्षेत्रों में पाए जाने वाले पौधों और जंतुओं से भिन्न होते हैं।
18. मरूस्थल- शुष्क मरूस्थल दिन में अत्यधिक गरम और रात्रि में अत्यधिक ठंडे होते हैं। मरूस्थल में पाए जाने वाले पौधों के मांसल तने जल को संगृहीत कर सकते हैं और उन स्थानों की गरम परिस्थितियों को सहन करने में पौधों की सहायता करते हैं।
19. अनुकूलन- किसी विशेष क्षेत्र में पाए जाने वाले पौधों और जंतुओं की अपनी विशिष्ट विशेषताएं होती है जो उन्हें वहां जीवित रहने के लिए सक्षम बनाती है। ये विशिष्ट विशेषताएं, जो पौधों और जंतुओं को किसी विशेष क्षेत्र में जीवित रहने में सक्षम बनाती है, उन्हें अनुकूलन कहा जाता है।
20. आवास- वह स्थान जहां पौधे और जंतु रहते हैं, उसे उनका आवास कहते हैं। आवास किसी क्षेत्र की जैव विविधता को निर्मित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
21. थल पर रहने वाले पौधों और जंतुओं के आवास को थलीय आवास कहते हैं। उदाहरण- वन, घास के मैदान, मरुस्थल एवं पर्वतीय क्षेत्र।
22. जल में रहने वाले पौधों और जंतुओं के आवास को जलीय आवास कहते हैं। उदाहरण- तालाब, झील आदि।
23. मेंढक जैसे कुछ जंतु जल के साथ-साथ थल पर भी रह सकते हैं, इन्हें उभयचर जंतु कहते हैं।
24. पौधों और जंतुओं के आवास की क्षति से वे अपने घर, भोजन और अन्य संसाधनों से वंचित हो जाते हैं। इससे जैव विविधता की हानि होती हैं।
आइए, और अधिक सीखें
प्रश्न-1. यहां दो प्रकार के बीज दिए गए हैं। आप इनके पौधों की जड़ों और पत्तियों के शिरा-विन्यास में क्या अंतर पाते हैं?
उत्तर- चित्र (क) में गेहूं तथा चित्र (ख) में गेहूं और राजमा के बीज दिखाए गए हैं। इनके पौधों की जड़ें और पत्तियों के शिरा-विन्यास में निम्न अंतर पाए जाते हैं:-
जड़ें-
- गेहूं: यह एक एकबीजपत्री पौधा है, जिसकी जड़ें झकड़ा जड़ होती है।
- राजमा: यह एक द्विबीजपत्री पौधा है, जिसकी जड़े मूसला जड़ होती हैं।
पत्तियों का शिरा-विन्यास-
- गेहूं: इसकी पत्तियों का शिरा-विन्यास समांतर होता है, जहां पत्तियों में रेखाएं एक समानांतर तरीके से होती हैं।
- राजमा: इसकी पत्तियों का शिरा-विन्यास जालकार होता है, जिसमें पत्तियों में जाल की तरह रेखाएं होती हैं।
प्रश्न- 2. नीचे कुछ जंतुओं के नाम दिए गए हैं, उनके आवास के आधार पर समूह बनाएं। चिन्हांकित खंड 'क' में जलीय जंतुओं और चिन्हांकित खंड 'ख' में थलीय जंतुओं के नाम लिखिए। खंड 'ग' में दोनों आवासों में रहने वाले जंतुओं के नाम लिखिए।
घोड़ा, डॉल्फिन, मेंढ़क, भेड़, मगरमच्छ, गिलहरी, व्हेल, केंचुआ, कबूतर, कछुआ
उत्तर- खंड 'क' (जलीय जंतु)
- डॉल्फिन
- व्हेल
खंड 'ख' (थलीय जंतु)
- घोड़ा
- भेड़
- गिलहरी
- कबूतर
- केंचुआ
खंड 'ग' (दोनों आवासों के जंतु)
- मेंढक
- मगरमच्छ
- कछुआ
प्रश्न- 3. मनु की मां की एक शाक वाटिका (किचन गार्डन) हैं। एक दिन वह मिट्टी से मूली उखाड़ रही थीं। उन्होंने मनु को बताया कि मूली एक प्रकार की जड़ हैं। एक मूली को सावधानीपूर्वक देखें और लिखें कि वह किस प्रकार की जड़ है। मूली के पौधे की पत्तियों में आपको किस प्रकार का शिरा-विन्यास दिखाई देगा?
उत्तर- मूली की जड़ मूसला जड़ होती है, जो एक मुख्य जड़ से मिलकर बनी होती है और इससे छोटी-छोटी जड़ें निकलती है। इस प्रकार की जड़ें मिट्टी में गहराई तक जाती है और पौधे को मजबूती प्रदान करती है। मूली के पौधे की पत्तियों में जालकार शिरा-विन्यास पाया जाता है। इसमें पत्तियों की शिराएं जाल की तरह फैली होती है। जहां मुख्य शिरा से कई छोटी-छोटी शिराएं निकलती हैं। यह शिरा-विन्यास द्विबीजपत्री पौधों में पाया जाता है, जो पौधे के लिए पोषक तत्वों और पानी के संचरण में सहायक होता है।
प्रश्न- 4. नीचे दिए गए चित्रों में पर्वतीय बकरी और मैदानों में पाई जाने वाली बकरी को देखें। उनके बीच समानताएं और अंतर बताएं। साथ ही यह भी बताएं कि इन अंतरों के क्या कारण हैं?
उत्तर- समानताएं-
- दोनों ही बकरियां चार पैर वाले स्तनधारी जीव हैं।
- दोनों का शरीर बालों से ढका होता हैं।
- दोनों बकरियां पौधों पर निर्भर रहती है और चरती हैं।
अंतर-
- पर्वतीय बकरी का शरीर घने और लंबे बालों से ढका होता हैं, जो उसे ठंडे पर्वतीय क्षेत्रों में गर्म रखने में मदद करते हैं।
- मैदानों में पाई जाने वाली बकरी के शरीर पर कम और छोटे बाल होते हैं, जो उसे गर्मी से बचने में मदद करते हैं।
अंतरों के कारण-
- पर्वतीय बकरी ठंडे और ऊंचे क्षेत्रों में रहतीं हैं, इसलिए उसके शरीर पर अधिक बाल होते हैं ताकि वह ठंड से बच सके।
- मैदानों की बकरी गर्म और समतल क्षेत्र में रहतीं हैं इसलिए उसके शरीर पर कम बाल होते हैं ताकि वह गर्मी से बच सके।
प्रश्न- 5. पाठ में चर्चा की गई विशेषताओं के अतिरिक्त किसी अन्य विशेषता के आधार पर निम्नलिखित जंतुओं के दो समूह बनाएं- गाय, तिलचट्टा (काॅकरोच), कबूतर, चमगादड़, व्हेल, कछुआ, मछली, टिड्डा, छिपकली।
उत्तर- इन जंतुओं को उनकी जीवन शैली और आवास के आधार पर दो समूहों में विभाजित किया जा सकता है-
1) जलजीव और अर्ध - जलजीव
- व्हेल- जल में रहतीं हैं।
- मछली- जल में रहतीं हैं।
- कछुआ- जल और भूमि दोनों पर रहता है, अर्ध - जलजीव।
2) स्थलीय और वायुजीव
- गाय- भूमि पर रहती है।
- तिलचट्टा- भूमि पर रहता है।
- कबूतर- आकाश में उड़ता है लेकिन भूमि पर रहता हैं।
- चमगादड़- उड़ने में सक्षम लेकिन दिन में गुफाओं या पेड़ों में रहता हैं।
- टिड्डा- भूमि पर रहता हैं।
- छिपकली- भूमि पर रहती है।
प्रश्न- 6. जनसंख्या के बढ़ने और मनुष्यों द्वारा अधिक सुविधाजनक जीवन की चाह में विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बनों की कटाई की जा रही हैं। यह हमारे आस-पास के परिवेश को कैसे प्रभावित कर सकता है? आपके विचार से हम इस चुनौती का निदान कैसे कर सकते हैं?
उत्तर- वनों की कटाई से पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव:-
- जलवायु परिवर्तन- वनों की कटाई से वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन होते हैं।
- जैव विविधता विलुप्त- वनों की कटाई से वन्यजीवों के आवास नष्ट होते जा रहे हैं, जिससे कई प्रजातियां विलुप्त हो सकती हैं।
- मिट्टी का कटाव- पेड़ मिट्टी को रोके रखते हैं। वनों की कटाई से मिट्टी का कटाव बढ़ता है जिससे बाढ़ और भूमि की उर्वरता में कमी आती हैं।
- जल स्त्रोतों का नुक़सान- वनों की कटाई से जल संसाधनों पर भी असर पड़ता हैं, जिस कारण से नदियों, झीलों और भूजल स्तर में कमी आती हैं।
चुनौती का निदान:-
- वृक्षारोपण- ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने और कटे हुए वनों को पुनः उगाने पर जोर देना चाहिए।
- जागरूकता अभियान- लोगों को वनों के महत्व और उनके संरक्षण के बारे में जागरूक करना।
- पुनर्चक्रण और कम उपयोग- संसाधनों का पुनर्चक्रण और संसाधनों का कम उपयोग करने के बारे में प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि वन उत्पादों की मांग में कमी आए।
प्रश्न- 7. फ्लोचार्ट का विश्लेषण करें। इसमें क और ख के कौन-कौन से उदाहरण हो सकते हैं?
उत्तर- क के उदाहरण- यदि पौधे में पत्तियां है और उनमें जालकार शिरा-विन्यास हैं, तो यह द्विबीजपत्री पौधा होगा। उदाहरण- गुलाब, आम आदि।
ख के उदाहरण- यदि पौधे में पत्तियां नहीं है या पत्तियां है पर उनमें जालकार शिरा-विन्यास नहीं है, तो यह एकबीजपत्री पौधा या बिना पत्तियों वाला पौधा हों सकता हैं। उदाहरण- गेहूं, मक्का आदि।
इस प्रकार, क और ख के उदाहरणों को पौधों की विशेषताओं के आधार पर इस प्रकार विभाजित किया जा सकता हैं।
प्रश्न- 8. राज अपने मित्र संजय से तर्क करता है, "गुड़हल का पौधा एक झाड़ी हैं।" संजय इसके स्पष्टीकरण के लिए कौन-से प्रश्न पूछ सकता हैं?
उत्तर- संजय इसके लिए निम्नलिखित प्रश्न पूछ सकता है-
- गुड़हल के पौधे का तना कैसा होता हैं?
- गुड़हल के पौधे की ऊंचाई कितनी होती हैं?
- गुड़हल का पौधा छोटा और फैलावदार हैं या यह काफी ऊंचाई तक बढ़ता हैं?
- गुड़हल का पौधा एकल तना का होता हैं या इसमें कई शाखाएं होती हैं?
- गुड़हल का पौधा किस प्रकार की मिट्टी और स्थान में उगता है?
इन प्रश्नों के द्वारा संजय यह समझ सकता हैं कि गुड़हल का पौधा झाड़ी के रूप में क्यों देखा जा सकता हैं।
प्रश्न- 9. तालिका में कुछ आंकड़े दिए गए हैं। आंकड़ों के समूह के आधार पर इन पौधों के उदाहरण का पता लगाइए।
I) समूह 'क' के पौधों में और क्या समानताएं हैं?
II) समूह 'ख' के पौधों में और क्या समानताएं हैं?
उत्तर- समूह 'क' के पौधों में समानताएं-
- पत्तियों का शिरा-विन्यास: जालकार शिरा-विन्यास, जिसमें पत्तियों में शिराएं जाल की तरह फैली होती हैं।
- उदाहरण: मूली, राजमा आदि।
- फूलों की संरचना- इनमें फूलों के अंगों की संख्या सामान्यतः चार या पांच होती हैं।
- जड़ें- मुख्य जड़ गहराई तक जाती है और इससे छोटी जड़ें निकलती हैं।
समूह 'ख' के पौधों में समानताएं-
- पत्तियों का शिरा-विन्यास- समांतर शिरा-विन्यास, जिसमें पत्तियों की शिराएं एक समानांतर पैटर्न में होती हैं।
- उदाहरण- गेहूं, घास आदि।
- फूलों की संरचना- इनमें फूलों के अंगों की संख्या सामान्यतः तीन होती हैं।
- जड़ें- जड़ें गहराई में नहीं जातीं बल्कि एकसमान मोटाई वाली होती है और मिट्टी में फैली रहती हैं।
प्रश्न- 10. नीचे दिए गए चित्र में बत्तख के नामांकित भाग को देखें। बत्तख के पंजों में अन्य पक्षियों की तुलना में आपको क्या भिन्नता दिखाई देती हैं? बत्तख अपने इस भाग का उपयोग करके कौन-सी गतिविधि करने में सक्षम होगी?
उत्तर- चित्र में बत्तख (क) के पंजों को देखकर आप देख सकते हैं कि इसके पंजों में जालीदार संरचना होती है, जो अन्य पक्षियों के पंजों से भिन्न होती हैं।
भिन्नता- बत्तख के पंजों में उंगलियों के बीच त्वचा की जाली होती हैं, जो इसे पानी में तैरने में मदद करती है। अन्य पक्षियों, जैसे कबूतर (ख) के पंजों में ऐसी जालीदार संरचना नहीं होती, क्योंकि वे मुख्य रूप से उड़ने और जमीन पर चलने के लिए बने होते हैं।
गतिविधि- बत्तख अपने जालीदार पंजों का उपयोग तैरने के लिए करती है। ये पंजे पानी में पैडल की तरह काम करते हैं, जिससे बत्तख पानी में आसानी से आगे बढ़ सकती हैं। इस विशेषता की वजह से बत्तख जलचर पक्षियों की श्रेणी में आती है और जल में तैरना उसकी प्रमुख गतिविधियों में से एक है।







